Paddy farming Tips धान की रोपाई के बाद किसान इन बातों का रखें ध्यान, मिलेगी जबरदस्त पैदावार

News Hindi Live Haryana] आमतौर पर ट्रांसप्लांटिंग के 2 से 4 सप्ताह के बीच होते हैं। कई धूल भूरे या कांसे के धब्बे पत्ती की पटल की सतह पर दिखाई देते हैं। जब कमी बनी रहती है तो बड़े धब्बे बन जाते हैं और पूरी तरह से पूरी पत्ती को ढक लेते हैं। बाद के चरणों में पूरा पत्ता कांसे के धब्बे में बदल जाता है और मर जाता है।
वहीं, जिस भूमि में पीएच मान या कैल्शियम कार्बोनेट की मात्रा अधिक हो या जहां खारे पानी से सिंचाई की जाती हो या बलुई भूमि जंहा जैविक कार्बन कम हो, वंहा धान की फसल में लौह की कमी हो सकती है। लौह की कमी के कारण नई पत्तियां में हरापन बनना कम हो जाता है पत्तियों की शिराओं की मध्य भाग का हरापन खत्म हो जाता है।
जिंक की कमी को ऐसे करें दूर
यदि खड़ी फसल में जस्ते की कमी के लक्षण दिखाई दें तो ऐसी अवस्था में 0.5% जिंक सल्फेट और 2.5% यूरिया को घोल फसल पर 2-3 छिड़काव 10-12 दिन के अंतराल पर करने से कमी के लक्षण दूर हो जाते हैं। जस्ते और लोहे की कमी में गोबर की खाद एवं ढेंचे की हरी खाद का प्रयोग खासतौर से लाभकारी है। इनका प्रयोग लोहे जैसे सूक्ष्म तत्वों की कमी को तो पूरा करता है, साथ में भूमि की जैविक एवं भौतिक दशा भी सुधर जाती है।
लौह की कमी का उपचार
यदि खड़ी फसल में लौह की कमी के लक्षण दिखाई दें तो 0.5% प्रतिशत फैरस सल्फेट और 2.5% यूरिया का घोल बनाकर फसल पर 2-3 छिड़काव 10-12 दिन के अंतराल पर करने से कमी के लक्षण दूर हो जाती है
और फसल की अच्छे से बढ़वार के साथ पैदावार में वृद्धि होती है।