saphed makkhee बारिश के मौसम में कपास में बढ़ता है सफेद मक्खी और रस चूसक कीटों का खतरा, ऐसे पाएं छुटकारा

News Hindi Live Haryana] इस बार कपास की उत्पादकता में कमी न आए,इसके मद्देनजर एचएयू, हिसार ने केवीके व सीआरएस(कॉटन रिसर्च सेंटर) सिरसा की टीम से 15 गांवों के खेतों का सर्वे करवाया है। इसमें वैज्ञानिकों की टीमें सिरसा के गांव मेहनाखेड़ा, खारियां, खाई शेरगढ़, भागसर, घुकांवाली ओढ़ां, कालांवाली, तारुआना सहित गांवों के खेतों का दौरा किया। गांव तारुआना के खेतों में उन क्षेत्रों में गुलाबी सुंडी का असर दिखा, जहां आसपास बनछंटियां पड़ी थी। विशेषज्ञों ने किसानों को नियंत्रण बारे जानकारी दी।
कृषि वैज्ञानिक डॉ. देवेंद्र जांखड़ ने बताया कि सफेद मक्खी पत्तों से रस चूसकर पौधे की बढ़वार, गुणवत्ता व उपज कम करती है। इसका प्रकोप दिन का तापमान 25 से 30 डिग्री व हवा में नमी 70 से 75% होने से बढ़ता है। जुलाई, अगस्त व सितंबर में सफेद मक्खी का नुकसान प्रभावित क्षेत्रों में दिखने लगता है। पत्तों के निचली सतह चमकते हुए या तेलिया व चिपचिपे दिखाई दें तो कीटनाशक का प्रयोग करें। इसके आर्थिक कागार (6 प्रोढ प्रति पत्ता) पर पहुंचने परइसकी रोकथाम के लिए 300 ईसी या ऑक्सीमेमेटान मिथाइल 25(मेटासिस्टाक्स) व एक लीटर नीम आधारित का बार-बार से 250 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।
फेरोमोन ट्रैप लगा जानें कीट हमला हुआ है या नहीं: डॉ. चित्रलेखा
सीआरएस से सहायक कीट वैज्ञानिक डॉ. चित्रलेखा ने बताया कि फेरोमोन ट्रैप से कीट हमले का पता लगाया जा सकता है। इसमें मादा कीट की गंध को एक कैप्शूल में रखा जाता है, जिससे नर कीट आकर्षित होकर जाल में फंस जाते हैं। 1 एकड़ में 5-7 फेरोमोन ट्रैप लगाने चाहिए। अगर एक फेरोमोन ट्रैप में दिन में 6-8 कीट नजर आएं तो समझ लीजिए कि हमला हो चुका है और किसानों को रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल करना चाहिए।